लक्सर और सुल्तानपुर की राजनीति में नया मोड़: आरक्षण से बदल गया समीकरण। - janwani express

लक्सर नगर पालिका और नगर पंचायत सुल्तानपुर की सीटों पर आरक्षण की घोषणा के बाद क्षेत्रीय राजनीति में हलचल मच गई है। लक्सर नगर पालिका की चेयरमैन सीट इस बार दलित आरक्षित कर दी गई है, जबकि नगर पंचायत सुल्तानपुर की चेयरमैन सीट ओबीसी आरक्षित घोषित हुई है। इस आरक्षण ने स्थानीय नेताओं के चुनावी समीकरणों को पूरी तरह बदलकर रख दिया है।

लक्सर में आरक्षण का ये पड़ेगा प्रभाव

लक्सर नगर पालिका की चेयरमैन सीट पर दलित आरक्षण लागू होने के बाद यहां की राजनीति में नया जोश देखने को मिलेगा। इस सीट पर लंबे समय से सामान्य वर्ग का दबदबा रहा है,लेकिन अब दलित वर्ग के नेताओं को बड़ी भूमिका निभाने का मौका मिलेगा।

लक्सर की राजनीति में अब दलित समुदाय से जुड़े नए चेहरे उभरेंगे हैं। प्रमुख दलों ने दलित उम्मीदवारों की तलाश शुरू कर दी है। वहीं, कई स्थानीय नेता इस आरक्षण से असमंजस में हैं क्योंकि उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं पर पानी फिर गया है। I7

भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल यहां अपनी रणनीति बनाने में जुट गए हैं। भाजपा ने अपने कार्यकर्ताओं को दलित समुदाय में सक्रियता बढ़ाने के निर्देश दिए हैं, वहीं कांग्रेस अपने पुराने वोट बैंक को फिर से मजबूत करने की कोशिश कर रही है।

एक स्थानीय नेता ने कहा:


“आरक्षण ने हमारे लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं। हम वर्षों से इस क्षेत्र में काम कर रहे थे, लेकिन अब हमें पीछे हटना पड़ेगा।”

सुल्तानपुर में ओबीसी आरक्षण से चुनाव होगा दिलचस्प

दूसरी ओर, नगर पंचायत सुल्तानपुर की चेयरमैन सीट ओबीसी आरक्षित होने से यहां के राजनीतिक समीकरण भी पूरी तरह से बदल गए हैं। ओबीसी आरक्षण ने क्षेत्र के कई पुराने नेताओं के लिए रास्ता बंद कर दिया है, जबकि नए चेहरों के लिए दरवाजे खोल दिए हैं।

सुल्तानपुर में ओबीसी का प्रभाव है। इस आरक्षण के बाद यहां इन समुदायों के नेता जोर-शोर से अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। भाजपा, कांग्रेस और अन्य क्षेत्रीय दलों ने अपने ओबीसी नेताओं को मैदान में उतारने की तैयारी शुरू कर दी है। सुल्तानपुर में ओबीसी आरक्षण होने से चुनाव दिलचस्प हो जाएगा और मुस्लिम नेता बीच जबरदस्त उठक-पठक देखने को मिलेगी

स्थानीय जनता की आई प्रतिक्रियाएं

आरक्षण के इस फैसले पर जनता के बीच भी चर्चाएं तेज हैं। लक्सर के कई लोग इसे सामाजिक न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम मान रहे हैं, जबकि कुछ इसे राजनीतिक मजबूरी का परिणाम बता रहे हैं।

सुल्तानपुर में भी ओबीसी आरक्षण को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया है। एक स्थानीय निवासी ने कहा:


“ओबीसी आरक्षण से हमें भी मौका मिलेगा, लेकिन देखना यह है कि नेता वाकई विकास करेंगे या सिर्फ वादे करेंगे।”

स्थानीय निवासी

राजनीतिक दलों की रणनीति

आरक्षण के बाद लक्सर और सुल्तानपुर दोनों ही क्षेत्रों में राजनीतिक दल अपनी रणनीति पर दोबारा विचार कर रहे हैं।

भाजपा: भाजपा ने दलित और ओबीसी वर्ग के नेताओं को मजबूत करने की रणनीति बनाई है। पार्टी क्षेत्र में जनसंपर्क अभियान तेज कर रही है।

कांग्रेस: कांग्रेस इस आरक्षण को अपने लिए मौका मान रही है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने कहा है कि वे जनता को आरक्षण का सही लाभ दिलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

अन्य दल: बसपा और आजाद समाज पार्टी जैसे दलों ने भी अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं। इन दलों का मुख्य फोकस दलित और ओबीसी मतदाताओं को साधने पर है।

नेताओं की बदलती प्राथमिकताएं

आरक्षण लागू होने के बाद कई स्थानीय नेताओं ने अपना क्षेत्र बदलने की तैयारी शुरू कर दी है। कुछ नेता अब पार्षद पद के लिए दावेदारी कर सकते हैं, जबकि कुछ ने अन्य सीटों पर ध्यान केंद्रित किया है।

राजनीतिक माहौल गरमाया

आरक्षण के इस फैसले ने प्रदेश भर सहित लक्सर और सुल्तानपुर की राजनीति को पूरी तरह से गर्मा दिया है। दोनों ही क्षेत्रों में चुनावी चर्चा का केंद्र अब आरक्षण और उसके बाद की राजनीति बन गई है।

क्या होगा चुनावी नतीजा?

आरक्षण के बाद दोनों क्षेत्रों में यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन से दल और उम्मीदवार जनता का विश्वास जीतने में सफल होते हैं। लक्सर में दलित नेतृत्व के उभरने की उम्मीद है, जबकि सुल्तानपुर में ओबीसी नेताओं के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है।

चुनाव की तारीखों का इंतजार

अब सभी की नजरें चुनाव की तारीखों पर टिकी हैं। आरक्षण के बाद का यह चुनाव न केवल क्षेत्रीय राजनीति को नया आयाम देगा, बल्कि यह दलित और ओबीसी वर्ग की राजनीति को भी नई दिशा प्रदान करेगा।

इस बदलाव से स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में लक्सर और सुल्तानपुर की राजनीति में बड़ी उथल-पुथल देखने को मिलेगी। जनता किसे चुनती है और कौन विकास के वादों पर खरा उतरता है, यह तो समय ही बताएगा।

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गुलशन आजाद, एक युवा पत्रकार है। जो अपराध एवं राजनितिक समेत समायिकी मुद्दो पर बिट करते है, पिछले 5 वर्षों से पत्रकारिता क्षेत्र में अपने योगदान से समाज को जागरूक करने में सक्रिय रहे हैं।

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