हरिद्वार में मनरेगा घोटाला: 82 मेट बर्खास्त, 50 से ज्यादा ग्राम विकास अधिकारी पर जांच की तलवार लटकी - janwani express

हरिद्वार, : उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में करोड़ों रुपये का घोटाला सामने आया है। जांच में पाया गया कि मजदूरों को बिना काम कराए, कागजों में काम दिखाकर भुगतान कर दिया गया। यह फर्जीवाड़ा लंबे समय से चल रहा था, जिसमें स्थानीय स्तर के कर्मचारी, मेट, ग्राम विकास अधिकारी (VDO) और रोजगार सेवकों की मिलीभगत सामने आई है।

जिला प्रशासन द्वारा गठित विशेष जांच टीम ने जब दस्तावेजों की गहन पड़ताल की, तो डिजिटल हाजिरी में गड़बड़ी, एक ही फोटो से कई बार उपस्थिति दर्शाना, फर्जी हस्ताक्षर, मृत लोगों के नाम पर भुगतान और बिना काम के मजदूरी वितरण जैसी गंभीर अनियमितताएं सामने आईं।

सबसे अधिक गड़बड़ी रुड़की और लक्सर ब्लॉकों में

जांच रिपोर्ट के अनुसार, सबसे अधिक अनियमितताएं हरिद्वार जिले के रुड़की और लक्सर ब्लॉकों में पाई गईं। इन क्षेत्रों में दर्जनों फर्जी योजनाएं चलाई गईं और करोड़ों रुपये की रकम गलत तरीके से निकाली गई। अकेले रुड़की ब्लॉक से 45 मेटों को हटाया गया, जबकि लक्सर से 29 मेटों की सेवाएं समाप्त की गईं है। अन्य ब्लॉकों की स्थिति भी चिंताजनक रही।

ब्लॉकवार हटाए गए मेटों की संख्या:

ब्लॉक हटाए गए मेट
रुड़की 45
लक्सर 29
भगवानपुर 06
खानपुर 02
बहादराबाद 10
कुल 92

नोट: वास्तव में हटाए गए मेटों की संख्या 82 ही है, कुछ मामलों में एकाधिक सेवाओं की पुनरावृत्ति थी, जिसे मिलाकर आंकड़े संशोधित किए गए हैं।)

82 मेट बर्खास्त, 50 से अधिक अधिकारियों को नोटिस

प्रशासन की ओर से तत्काल प्रभाव से 82 मेटों को बर्खास्त कर दिया गया है। वहीं, 50 से अधिक ग्राम विकास अधिकारियों (VDOs), रोजगार सेवकों और अन्य कर्मियों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। उनके जवाब के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

सीडीओ ने दिए सख्त कार्रवाई के निर्देश

फाइल फोटो आकांक्षा कोण्डे सीडीओ हरिद्वार

हरिद्वार की मुख्य विकास अधिकारी (CDO) आकांक्षा कोण्डे ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच टीम को विस्तृत रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा, “जनकल्याणकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। दोषियों के खिलाफ विभागीय और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”

वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका पर भी उठे सवाल

जांच में यह भी संकेत मिले हैं कि केवल फील्ड स्तर के कर्मचारी ही नहीं, बल्कि उच्च पदों पर बैठे कुछ अधिकारियों की मूक सहमति या मिलीभगत भी हो सकती है। इसीलिए अब पूरे मामले की हाई लेवल जांच की मांग तेज हो गई है।

जनता में आक्रोश, पारदर्शिता की मांग

गांवों के कई लोगों ने मीडिया से बातचीत में बताया कि उन्होंने काम किया ही नहीं, फिर भी उनके नाम से भुगतान हुआ। कई मृत व्यक्तियों के नाम पर मजदूरी जारी करना भी ग्रामीणों के लिए चौंकाने वाला है। इससे गांव-गांव में जनता का आक्रोश बढ़ रहा है और लोग सरकार से पारदर्शी जांच और दोषियों की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं।

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