32 दिन की जमीनी लड़ाई में जनता की जीत — अंबेडकर पार्क से हटाया गया गौशाला प्रस्ताव - janwani express

हरिद्वार। लक्सर के अंबेडकर पार्क में 32 दिनों से चल रहे अनिश्चितकालीन धरने का आज शांतिपूर्ण समापन हो गया है। यह धरना नगर पालिका द्वारा अंबेडकर पार्क में गौशाला बनाए जाने के प्रस्ताव के विरोध में शुरू हुआ था। जनता के विरोध और जनप्रतिनिधियों के समर्थन के बाद प्रशासन ने यह प्रस्ताव वापस ले लिया है।

नगर पालिका के पूर्व भाजपा अध्यक्ष ने अंबेडकर पार्क को गौशाला के लिए चुना था, जैसे ही शासन से प्रस्ताव पास हुआ और इसका टेंडर हुआ तो यह बात आपकी तरह फैल गई। जिसे लेकर क्षेत्र के लोगों में गहरी नाराज़गी थी। इस फैसले को ग्रामीण और सामाजिक कार्यकर्ता व युवाओं ने बाबा साहब के सम्मान के विरुद्ध बताया गया और अंबेडकर पार्क में ही प्रस्ताव खारिज करने की मांग के साथ धरने पर अड़ गए । विरोध में हर वर्ग के लोग एकजुट हो गए और पार्क में अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया गया।

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शुरुआत से ही साथ थे वर्तमान विधायक व नगर अध्यक्ष

बसपा के लक्सर विधायक मोहम्मद शहजाद और नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष संजीव कुमार धरने के पहले दिन से ही आंदोलनकारियों के साथ खड़े रहे। उन्होंने कई बार धरनास्थल पर पहुंचकर समर्थन दिया और जनता की बात शासन-प्रशासन तक पहुंचाई।

धरने के 32 दिन बेहद कठिन रहे। कभी तेज धूप, कभी बारिश, लेकिन न लोग पीछे हटे और न ही उनकी मांगें। महिलाएं, बुजुर्ग, छात्र—हर कोई अंबेडकर पार्क को बचाने के लिए डटा रहा।

जनता की मांग हुई पूरी — गौशाला का नया स्थान तय

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आज विधायक शहजाद और नगर अध्यक्ष संजीव कुमार ने जनता को सूचित किया कि गौशाला का प्रस्ताव अब निरस्त कर दिया गया है। इसके स्थान पर वार्ड नंबर 6 में खाली पड़ी जमीन पर गौशाला बनाई जाएगी। उसके बाद सम्मानपूर्वक अनिश्चितकालीन धरना समाप्त कर दिया गया।

इस दौरान विधायक मोहम्मद शहजाद ने कहा, “यह सिर्फ एक आंदोलन नहीं था, यह जन-भावना का मामला था। हम शुरू से ही जनता के साथ खड़े थे और आज यह संघर्ष सफल हुआ है यह बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर के विचारों की जीत है।

वहीं पालिका अध्यक्ष संजीव कुमार ने कहा, “हमने जनता की भावनाओं को समझा और हमेशा साथ रहे। प्रशासन को भी यही सुझाव दिया और अंततः वही हुआ जो जनता चाहती थी। यह लोकतंत्र की सच्ची जीत है।”

गौशाला के नए स्थानांतरण की घोषणा के बाद आंदोलनकारी में जश्न का माहौल
धरनास्थल पर जब प्रस्ताव रद्द होने की घोषणा हुई, तो लोगों ने ताली बजाकर, मिठाई बांटकर और बाबा साहब की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर जश्न मनाया। कई लोग भावुक हो गए, क्योंकि यह उनकी मेहनत व संघर्ष की जीत है।

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