हरिद्वार। जिलेभर में इन दिनों वाहनों पर हूटर लगाना आम चलन बन गया है। हालत यह है कि हर चौथे- पांचवें निजी वाहन पर हूटर या सायरन लगा नजर आता है। हाईकोर्ट के स्पष्ट निर्देश और शासन के प्रतिबंध के बावजूद लोग नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं। सबसे हैरानी की बात यह है कि यह सब कुछ पुलिस और प्रशासन की आंखों के सामने हो रहा है, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही।
छोटे-बड़े राजनीतिक दलों से जुड़े छुटभैया, नेता, पंच, सरपंच, समिति के प्रबंधक और प्रभावशाली लोग अपनी गाड़ियों पर लाल प्लेट से साथ-साथ हूटर लगाकर रौब झाड़ रहे हैं। ये लोग हूटर को अब “स्टेटस सिंबल” की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। अक्सर ये गाड़ियां पुलिस- प्रशासन की मौजूदगी में हूटर बजाते हुए निकल जाती हैं और जिम्मेदार अधिकारी सिर्फ देखते रह जाते हैं।
खतरनाक बात यह है कि कई बार ये अवैध हूटर लगे वाहन सड़क हादसों की वजह भी बन रहे हैं। अचानक बजने वाले कर्कश और तेज हूटरों से सड़क पर चल रहे दूसरे वाहन चालक घबरा जाते हैं, जिससे उनका संतुलन बिगड़ता है और टकराव या पलटने जैसी स्थिति बन जाती है। अफसोस लेकिन न किसी का चालान हो रहा है और न ही हूटरो को जब्त।
वाहन नियमों के मुताबिक, सिर्फ एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड, डायल 100 या अन्य सरकारी आपातकालीन सेवाओं वाले वाहनों को हूटर लगाने की अनुमति है। निजी वाहनों पर यह पूरी तरह से प्रतिबंधित है। नियमों के अनुसार उल्लंघन करने पर ₹500 से ₹5000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
इस पूरे मामले को लेकर एसपी देहात शेखर चंद्र सुयाल ने बताया कि निजी वाहनों पर हूटर लगाना अवैध है अगर ऐसा पाया जाता है तो इसके खिलाफ विशेष चेकिंग अभियान चला कर हूटर लगाने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
अब सवाल यह है—क्या वास्तव में सड़क घूम रहे हूटर लगे निजी वाहनों के “स्टेटस सिंबल” का अंत होगा?