टैक डेस्क: टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) ने 1 दिसंबर 2024 से एक महत्वपूर्ण बदलाव का ऐलान किया है। इस बदलाव के तहत, सभी प्रमुख टेलीकॉम कंपनियों जैसे जियो, एयरटेल, वीआई, और बीएसएनएल को अपने सिस्टम में ट्रेसेबिलिटी नियम लागू करने होंगे। इन नए नियमों का उद्देश्य फर्जी OTP और कमर्शियल मैसेज की समस्या को कम करना है, जिससे साइबर अपराध और धोखाधड़ी की घटनाओं पर नियंत्रण पाया जा सके। इस बदलाव का सीधा असर आपके फोन पर आने वाले OTP और अन्य मैसेजों पर पड़ेगा। आइए, जानते हैं इस नए नियम से किसे फायदा होगा और इससे संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी।
TRAI का नया नियम: ट्रेसेबिलिटी सिस्टम का लागू होना
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने अपने नए आदेश में सभी टेलीकॉम कंपनियों को अनचाहे कमर्शियल मैसेज और फिशिंग अटैक्स को रोकने के लिए ट्रेसेबिलिटी सिस्टम लागू करने का निर्देश दिया है। इस सिस्टम के तहत सभी OTP और कमर्शियल मैसेज को ट्रैक किया जाएगा। इसका उद्देश्य उन फर्जी OTP और मैसेज को पहचानना है, जिनके जरिए धोखाधड़ी की जाती है। ट्रेसेबिलिटी सिस्टम के लागू होने से धोखाधड़ी की घटनाओं में कमी आने की उम्मीद है।
क्या है ट्रेसेबिलिटी सिस्टम और कैसे काम करेगा?
TRAI का ट्रेसेबिलिटी सिस्टम एक डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम है, जो किसी भी OTP या कमर्शियल मैसेज की उत्पत्ति और वितरण को ट्रैक करेगा। यह सिस्टम एक तरह से डिटेक्शन मेकेनिज्म के रूप में काम करेगा, जिससे कंपनियां और उपभोक्ता आसानी से फर्जी और स्पैम OTP से बच सकते हैं। इसके लागू होने से फिशिंग अटैक्स की घटनाएं कम होंगी, जो खासकर बैंकिंग धोखाधड़ी और अन्य साइबर क्राइम में बढ़ी हैं।
OTP में हो सकती है देरी, क्या इसका असर होगा?
हालांकि, इस नियम का मुख्य उद्देश्य धोखाधड़ी को कम करना है, लेकिन इसके लागू होने से शुरुआत में कुछ परेशानी हो सकती है। जैसा कि TRAI ने पहले 31 अक्टूबर तक इसे लागू करने का समय दिया था, लेकिन कंपनियों की मांग पर इसे बढ़ाकर 30 नवंबर कर दिया गया। अब 1 दिसंबर से यह नियम पूरी तरह लागू होगा, जिससे OTP और कमर्शियल मैसेज की ट्रैकिंग प्रक्रिया में थोड़ी देरी हो सकती है। इसका मतलब है कि पहले कुछ दिनों तक OTP प्राप्त करने में वक्त लग सकता है, क्योंकि टेलीकॉम कंपनियां इस नए सिस्टम को पूरी तरह से लागू करने में समय ले सकती हैं।
क्या है इसके फायदे?
इस बदलाव का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि फर्जी OTP और अन्य धोखाधड़ी के मामलों में कमी आएगी। विशेषकर बैंकिंग और ई-कॉमर्स से जुड़े धोखाधड़ी के मामलों में यह सिस्टम मददगार साबित होगा। अब तक, कई लोग फर्जी OTP के जरिए अपनी निजी जानकारी और पैसे खो देते थे, लेकिन इस ट्रेसेबिलिटी सिस्टम के लागू होने से इस तरह की घटनाएं कम होने की उम्मीद है। साथ ही, उपभोक्ताओं को अधिक सुरक्षित और विश्वसनीय डिजिटल अनुभव मिलेगा।
किसे मिलेगा फायदा?
- उपभोक्ता: उपभोक्ताओं को फर्जी OTP और कमर्शियल मैसेज से बचने में मदद मिलेगी। इससे साइबर सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा और धोखाधड़ी की घटनाओं में कमी आएगी।
- बैंकिंग और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स: इन प्लेटफॉर्म्स को भी फायदा होगा, क्योंकि उनका ग्राहक डेटा और ट्रांजैक्शन अधिक सुरक्षित रहेगा। इससे ग्राहक के विश्वास में वृद्धि होगी और धोखाधड़ी के मामलों में कमी आएगी।
- टेलीकॉम कंपनियां: ट्रेसेबिलिटी सिस्टम के लागू होने से टेलीकॉम कंपनियों को अपनी सेवाओं में सुधार करने का मौका मिलेगा, जो ग्राहक सुरक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। इससे उन्हें ग्राहक विश्वास बढ़ाने में मदद मिलेगी।
TRAI का नया ट्रेसेबिलिटी सिस्टम 1 दिसंबर 2024 से लागू होने जा रहा है, जिससे OTP और कमर्शियल मैसेज की ट्रैकिंग में पारदर्शिता आएगी। इससे फर्जी OTP और धोखाधड़ी के मामलों में कमी आएगी। हालांकि, इस नए सिस्टम के लागू होने से शुरुआती दिनों में OTP में देरी हो सकती है, लेकिन इसके दूरगामी फायदे निश्चित रूप से उपभोक्ताओं और कंपनियों के लिए फायदेमंद साबित होंगे। इस बदलाव का उद्देश्य साइबर अपराध और धोखाधड़ी को कम करना है, जो आजकल एक बड़ी चिंता का विषय बन चुका है।